कुल्लू मनाली के देव रथों {पालकी} को बनाने की शैली
- Sonu Thakur
- Jan 6, 2016
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कुल्लू मनाली , धर्म
कुल्लू के ग्राम देवता रथों में साकार होते है | रथों की तीन शैलियाँ है -

ढलवा छत शैली
छत्र रथ शैली
करडू शैली
1. ढलवा छत शैली
भनारू नाग
अधिकार देवता इसी रथ शैली के चार फीट से पांच के होते है | रथ पर उपरी भाग पीछे की और होता है तथा कंही कंही सोने चांदी और पीतल के मोहरे लगाए जाते है | मोहरे आठ से बारह होते है | सजावट के लिए रंग बिरंगी चादरे लगाई जाती है | इन रथों को उठाने के लिए डंडों का प्रयोग किया जाता है जिनकी लम्बाई छ: फुट से लेकर बारह फुट के बीच होती है |ऐसे रथ उठाने में काफी बजनदार होते है | 2. छत्र रथ शैली
रथ के शीर्ष में लगने वाला छत्र
इन रथों की ऊँचाई 6.5 फुट के करीब होती है |इनके शिखर पर सोने या चांदी का छत्र होता है | मण्डप में कटाव होता है | मुखोटो को कटाव वाले स्थान पर लगाया जाता है | निचले भाग में चादरे लटकाई जाती है | इनकी अरगलें (पालकी को उठाने में प्रयोग आने वाले डंडे) काफी लम्बी और लचीली होती है |जिनके सहारे ताल पर इन्हें नचाया भी जाता है | 3. करडू रथ शैली
भगवान शुभ नारायण:{रुमसू}
एक बड़ी टोकरी में मोहरे सजाये जाते है और रंग बिरंगी चादरों और दुपटों से उसे सजाया जाता है | टोकरी को सिर पर या गोद में उठाया जाता है | कुछ देवताओं के रथ नरगाल से बनाए जाते है | देवता अमल {राजा बलि } तथा वासुकी नाग ह्लाण के रथ नरगाल से बनाए जाते है | 4. देवताओं के साजें रथ कई स्थान पर दो देवताओं के एक ही रथ है | दोने देवताओं के रथ एक ही पालकी में लगाये जाते है | जैसे गौतम तथा गोशाली नाग का एक ही रथ है | जिल्ले में कई ऐसे देवताओं के सांजे रथ है
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